सृष्टि को सुंदर बनाते हो
हमारे ख्वाबो को पंख तुम्ही तो देते हो
CO2 को अपने अंदर समाकर
हमे ऑक्सिजन प्रदान कर नया जीवन देते हो।
खुशियों का गुलदस्ता लगाते हो
मुस्कुराहट हर जगह फैलाते हो
हर गम अपने अंदर सींचकर
संसार की रचना तुम ही तो करते हो।
जल की कीमत हमे बताते हो
बूंद बूंद से अपना आहार बनाते हो
सादगी भरा जीवन जीकर
हरयाली चुहु और बिखेरते हो।
प्रकृति का अमृत हो
जीवन की बूंदे हो
त्याग का रसपान कर
सवेरा तुम ही तो लेकर आते हो।
तुम ही जीवन हो
तुम ही आज, कल और भविष्य हो
अपने अंदर सब कुछ भरकर
सृष्टि को सौंदर्य की चादर ओढाते हो।
2.पेड़ बचाओ पर कविता/पेड़ लगाओ जीवन बचाओ/Short poem on Tree in Hindi
उसने कहा 👨🎤वो खड़ा है
मैंने पूछा🤷♂ कौन खड़ा है
उसने कहा जिसके पेर🎋 बहुत लंबे है
और
जो तन🌴 के हमेशा खड़ा रहता है।
मैंने फिर पूछा किस संदर्भ में कह रहे हो
और किसकी व्याख्या कर रहे हो
उसने कहा वो ही जिसके पेर मटमैले🌴 है
और
वो जिसने हरे🌿 परिधान पहने है।
उसने आगे कहा—
न कोई रंग है ना ही कोई रूप है
पता नही क्या 🔓उसका अभिरूप है
हर गली नुक्कड़ पे तन के खड़ा है
आखिर क्या उसका स्वरूप है।
तभी उस तने से आवाज़ आयी—-
हरी हरी🌿 पत्तिया मेरी, हरा मेरा रूप है🌲
हरी हरी सब्जियां🍐, हरे हरे अमरूद है🍐🍈
प्रकाश🌞 की क्रिया मुझसे, जीवन मुझसे ही है
ओषधि हु में🎍 यह संसार मुझसे ही है।🌏
एक पल भी रूठ जाऊ तो सृष्ठि में मचे हाहाकार है
जीवन की गद्दी का में ही पेट्रोल पंप हु
मेरी विशेषताए इतनी प्रकति का में करू श्रृंगार है🌹🌷🌸
जड़ होकर भी मुझमें चेतना का एहसास है।☔
(Amazon forest)
आज में किसी कोने में जल 🔥रहा हु
मेरा अस्तित्व मिट रहा है
पर तुमपे भी दिख रहा 🐴इसका असर है
निरंतर बढ़ रहा ताप है☀
नयी समस्या से ग्रसित हो रहा जीवन है
कितने ही लोग बेघर हो चुके है
हर तरफ मची ⛄एक हाहाकार है
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा जलस्तर है
तो खत्म हो रहा तुम्हारी गद्दी का पेट्रोल है ।
इसलिए कहता हूं ———–
मुझे जीवन 🌽का वरदान दो
अपने अस्तित्व को मत नीलाम करो
वरना आने वाली 🙅♂पीढ़ी तुम्हे ही दोषी ठहरायेगी
क्योंकि तुमने ही किया मुझसे खिलवाड़ है ।🌱
मैंने पूछा🤷♂ कौन खड़ा है
उसने कहा जिसके पेर🎋 बहुत लंबे है
और
जो तन🌴 के हमेशा खड़ा रहता है।
मैंने फिर पूछा किस संदर्भ में कह रहे हो
और किसकी व्याख्या कर रहे हो
उसने कहा वो ही जिसके पेर मटमैले🌴 है
और
वो जिसने हरे🌿 परिधान पहने है।
उसने आगे कहा—
न कोई रंग है ना ही कोई रूप है
पता नही क्या 🔓उसका अभिरूप है
हर गली नुक्कड़ पे तन के खड़ा है
आखिर क्या उसका स्वरूप है।
तभी उस तने से आवाज़ आयी—-
हरी हरी🌿 पत्तिया मेरी, हरा मेरा रूप है🌲
हरी हरी सब्जियां🍐, हरे हरे अमरूद है🍐🍈
प्रकाश🌞 की क्रिया मुझसे, जीवन मुझसे ही है
ओषधि हु में🎍 यह संसार मुझसे ही है।🌏
एक पल भी रूठ जाऊ तो सृष्ठि में मचे हाहाकार है
जीवन की गद्दी का में ही पेट्रोल पंप हु
मेरी विशेषताए इतनी प्रकति का में करू श्रृंगार है🌹🌷🌸
जड़ होकर भी मुझमें चेतना का एहसास है।☔
(Amazon forest)
आज में किसी कोने में जल 🔥रहा हु
मेरा अस्तित्व मिट रहा है
पर तुमपे भी दिख रहा 🐴इसका असर है
निरंतर बढ़ रहा ताप है☀
नयी समस्या से ग्रसित हो रहा जीवन है
कितने ही लोग बेघर हो चुके है
हर तरफ मची ⛄एक हाहाकार है
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा जलस्तर है
तो खत्म हो रहा तुम्हारी गद्दी का पेट्रोल है ।
इसलिए कहता हूं ———–
मुझे जीवन 🌽का वरदान दो
अपने अस्तित्व को मत नीलाम करो
वरना आने वाली 🙅♂पीढ़ी तुम्हे ही दोषी ठहरायेगी
क्योंकि तुमने ही किया मुझसे खिलवाड़ है ।🌱