बेखबर थे हम दुनिया से
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बेखबर थे हम मोहब्बत के चिरागों से
बेखबर थे हम प्यार के पैमानों से
सोचा न था आशिक़ी में वो जाम आया………
तबस्सुम बन निगाह चूरा गया वो
तड़प बन शब में रुला गया वो
सोचा न था आशिकी में वो जाम आया…….
मुददत से बेठे थे उनके इंतज़ार में
ना कोई ख़त ना कोई पैगाम आया
सोचा ना था आशिकी में वो जाम आया…..