कुछ नहीं मिला दुनिया में जिसे फिर भी देती सबको प्यार है
सब कुछ सहकार भी करुणा भरी उसमे अपार है
दर्द हो या रूसवाई सही उसने हर बार है
देवी का दर्ज़ा मिला जिसे नारी तू तो महान है……
रिश्तों के बंधन में बंधी छोड़ चली अपना स्वाभिमान है
अपनी खुशियो का गला घोट हुई कितनी बार हुई तिरस्कार है
ममता भरी जिसके आँचल में त्याग करती जो हर बार है
उस नारी की अग्नि परीक्षा हुई कितनी बार है….
एक नारी की यही कहानी है
सागर में समाहित उसके गुणों की प्याली है
दुनिया चलती आज भी उसके पदचिन्हों पे
क्योंकि
उसकी महिमा तो अजब निराली है……..