Maa Par Kavita
पल पल तरसी हु उस पल के लिए
तेरे आँचल में सर रख कर सो सकू में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
Meri Maa Kavita in Hindi |
खुशनसीबी बिफरी पड़ी है जह्नु में
आंसूं लिखे हुए तक़दीर में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
क्या कसूर था मेरा माँ
यह तो बता मुझे मेरी माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
क्या बेटी बनना अपराध है माँ
या नफरत लिखी तक़दीर में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
तुझे ही देख हर रोज़ सोती हु में माँ
तेरे प्यार के लिए हर रात रोती हु में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी हे परछाई हु में माँ।
माना बन नहीं पायी बेटा तेरा माँ
पर न छिन मुझसे हक़ मेरा माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
तुझे पसंद नहीं हु में माँ
नज़र में तेरे हमेशा खटकती रही हु में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
एक बार तो पूछ मेरी माँ
किन हालत में हु मेरी माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
फिर कभी नहीं कहूँगी माँ
आज फिर रोई हु में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
फिर नहीं आओगी तेरी राहों में माँ
पलट के एक नज़र देख मेरी माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
तुझसे प्यार बहुत करती हु में माँ
एक बार सीने से लगा ले मेरी माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
अब कहां जाहु मेरी माँ
किससे दर्द अपना बया करू में माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
इंतज़ार है उस पल का माँ
बेटा कहकर तू पुकारेगी मेरी माँ
बोझ नहीं तेरे दामन पे
तेरी ही परछाई हु में माँ।
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