कभी कभी हम ख्वाबो के परिंदो की तरह इतना उड़ जाते है की हमारे पैर जमीन पर ही नहीं पड़ते। हम उच्च पद की लालसा में सही और गलत के बीच का फ़र्क़ करना भी भूल जाते है और हम बेखबर होकर लम्बी छलांग लगाने को आतुर रहते है तभी सच हमारे सामने एक नए रूप में आता है और तब हम उसे सहन नहीं कर पाते और पेड़ की डाली की तरह तेज हवाओं के झोके से टूट कर गिर जाते है।
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आज की कहानी इसी अहम् और अन्धविश्वास में जी रही एक लड़की रीना की है। रीना एक मध्यमवर्गी परिवार से थी। पर उसके ख्वाब चरम सीमा पर थे। महत्वकांक्षा और अहं उसमे कूट कूट कर भरा था। हालांकि वो बहुत मेहनती थी पर उसे अपने सुन्दर होने पर बहुत घमंड था।
उसकी नयी नयी नौकरी लगी थी। उसे पगार भी बहुत अच्छी मिल रही थी। इसलिए अब उसके पैर कहा जमीन पे पड़ते। हालांकि वो बहुत मेहनती थी और अपना कोई कार्य अधूरा छोड़ के कभी नहीं जाती थी पर उसका स्वभाव बड़ा विचित्र था। इसका कारण यह भी था उसका बॉस उस पर पूरी तरह मेहरबान था। उसका रुतबा बढ़ने लगा था साथ साथ में अहम भी कही गहरी साँसे ले रहा था।
फिर एक दिन बॉस ने उसका प्रमोशन कर दिया। पुरे ऑफिस में उस दिन मिठाई बाटी गयी। उसे अब पर्सनल सेक्रेटरी का पद मिल गया था। अब वो पुरे दिन बॉस के आस पास रहती। उसके ख्वाबो को मंज़िल मिल गयी थी , उसकी पगार भी दुगनी हो गयी थी। फिर एक दिन बॉस ने उसे किसी मीटिंग के सिलसिले में तीन दिन शहर से बाहर दूसरे शहर चलने का आदेश दिया। फिर दोनों बॉस की पर्सनल कार में दूसरे शहर को चल दिए।
एक ५ * होटल के आगे गाड़ी रुकी। चाबी मिलते ही दोनों अपने रूम में चले गए। फिर कुछ देर रीना को बॉस का फ़ोन आया उन्होंने रीना को अपने कमरे में बुलाया। रीना बॉस के कमरे में गयी बॉस शराब पी रहे थे।
बॉस ने रीना को बैठने को कहा। फिर बॉस ने रीना को शराब की गिलास थमायी और पीने को कहा। रीना निरुत्तर हो गयी। फिर बॉस उसके पास आके बैठे और उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहा रीना तुम मुझे बहुत पसंद हो। ऑफिस के पहले दिन से मेरी नजर तुमपे थी। रीना सकपका गयी। तुम डरो मत यह बात हम दोनों के बीच में रहेंगी। रीना ने एक ही झटके में बॉस का हाथ हटाया और वो वहां से नो दो एगारह हो गयी।
वो अपने शहर आ गयी। पर उसे याद आया उसने एक वर्ष का एग्रीमेंट पे हस्ताक्षर किये थे जिकर आ सके हिसाब से उसे ५०००० का भुगतान करना पड़ेगा अगर वो नौकरी को बीच में छोड़ती है। उसके पास तो सिर्फ २०००० रुपए ही थे। अब वो जाना भी नहीं चाहती थी। तब रोहन ने उसकी मदद की जो उसी कंपनी में उसके साथ कायर्रत था जिसे उसने कभी तमीज से बात नहीं की। वो अपना इस्तीफ़ा पत्र लेकर बॉस के पास गयी और वो ५०००० भी उसके मुँह पर फेंक कर आ गयी। उसने रोहन का शुक्रयादा किया और पैसे जल्दी लौटने का कहकर वहां से चली गयी। पर आज वो अपनी ही बनाई सपनों की दुनिया में टूट कर बिखेर गयी थी।
कल को फिर उसे दूसरी अच्छी नौकरी मिल जाएगी। वो रोहन का उधार भी लोटा देगी। पर जो उसने आज सीखा वो पूरी जिंदिगी उसके साथ सबब बनके चलेगा। अगर कोई आपकी झोली भर रहा है कही वो अपना फ़ायदा तो नहीं देख रहा है। हरपल सजग रहिए क्यूंकि अक्सर जो दिखाई देता है वो होता नहीं और जो होता है वो हमारे समझ से बहुत परे होता है।