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भारतीय वायु सेना दिवस पर भाषण | Speech on Indian Airforce in Hindi |

  • by
Bhartiya Vayusena Speech in Hindi, Speech on Indian Airforce in Hindi

अपने हौसले की उड़ानों से
जिसने आसमानों को भी अपने कदमों में झुकाया है
बात करे आज हम वायुसेना के उन जाबाज़ सिपाहियों की
जिन्होंने कठिन घड़ियों में भी अपना लोहा मनवाया है।

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षक गण, पधारे गए अतिथिगण और मेरे प्यारे सहपाठियों।

आज ८ अक्टूबर भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा गया है क्योंकि इसी दिन एक ऐसी शक्ति की नींव रखी गई जिसने अपने शौर्य, साहस और पराक्रम से भारत को नित नई ऊंचाइयाँ प्रदान की, उसी शक्ति के पराक्रम का गुणगान करने के लिए हम यहां एकत्रित हुए हैं, जिसे हम गर्व से भारतीय वायुसेना कहते हैं।

जब-जब जब संकट के बादलों ने आसमानों को घेरा हुआ
तब-तब तब वायुसेना ने लगाया अपना पहरा है।।

सिर्फ पहरा ही नहीं लगाया बल्कि दुश्मनों के बंकरों को तोड़ गिराए, , हम कैसे भूल जाएं 1965 के भारत और पाकिस्तान युद्ध को जिसमें भारत ने पाकिस्तान के 73 विमान मार गिराए, कैसे भूल जाए उस ऑपरेशन मेघदूत को जिसकी बदौलत ही सियाचिन की पहाड़ियों पर हमने इतनी बड़ी जीत हासिल की।

वो भारतीय वायुसेना ही है
जिसके जज्बे की एक अलग ही गाथा है।
तभी तो सियाचिन की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पे
तिरंगा कितने शान से लहराता है।

भारतीय वायुसेना का ध्येय वाक्य है ‘नभ स्पर्श दीप्तम’ अर्थात ‘गर्व से आकाश को छुओ’। ‘ वायुसेना का मुख्य उद्देश्य भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करना और सहस्र संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध करना है। ‘ और आज भारतीय वायुसेना के साहस और शौर्य की जितनी तारीफ करें, कम है। उसका एक उदाहरण विंग कमांडर वीर अभिनंदन है, जिसने अजगर के मुंह में जाकर भी अपना डंका बजाया है, यह तो मात्र एक उदाहरण है, पर आज सभी जाबाज़ सिपाही, जिन्हें हम सिर्फ आज दिल से शुक्रिया नहीं करते है बल्कि उनके साहस, पराक्रम, लगन, निष्ठा, कर्तव्य और शौर्य को सेल्यूट करते हैं।

जो आसमानों को चीरकर दिखाते हैं
बादलों में अपना बसेरा ढूंढ लेते हैं
अजगर के मुंह में जाकर जिंदा लौट आते हैं
तभी तो बाजीगर यही कहलाते हैं।

जब-जब जब प्रकृति अपना कहर बरसाती है, तब-तब
तब वायुसेना एक नई ढाल बनी खड़ी हो जाती है। फिर चाहे सुनामी आ जाए या बाढ़ आ जाए, वो अपना फर्ज बेखौफ होकर निभाती है, कठिनाई के घोर अंधेरों में उम्मीदों की किरण ले आती है और तन-मन-धन
से सेवा कार्य में लग जाती है।

तभी तो वायुसेना भारत के सशस्त्र बलों का एक अंग होती है और भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायुसेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते हैं।

अंत में इतना ही कहूंगी
मौत को हथेली में रखकर भरते जो आसमानों में लंबी उड़ान हैं
नस-नस नस में बसा जिनके हिंदुस्तान है
शौर्य और साहस की जो अद्भुत पहचान है
यह हमारे वायुसेना के जाबाज़ जवान हैं।


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