Skip to content
Home » speech » हिंदी दिवस पर भाषण शायरी | Hindi Diwas Par Bhashan For Students | Speech on Hindi Diwas in Hindi

हिंदी दिवस पर भाषण शायरी | Hindi Diwas Par Bhashan For Students | Speech on Hindi Diwas in Hindi

  • by
hindi diwas speech, hindi diwas bhashan

अंग्रेज तो चले गए लेकिन अपने पीछे अंग्रेजी छोड़ गए,तभी तो आज अंग्रेजी भाषा के वर्चस्व के आगे हिंदी मौन हो जाती है। अंग्रेजी का हर जगह बोलबाला है, विद्यालय से लेकर महाविद्यालय, दफ्तर, बड़े-बड़े कारखाने,कारखाने सब जगह अंग्रेजी को बड़ा चढ़ा के बोला जाता है, और उसे ही अधिक महत्व दिया जाता है।और जिन्हेंअंग्रेजी नहींआती, वो खुद को लज्जित महसूस करतेहैं।

आज जब हम बड़े-बड़े दफ्तरों में नौकरी की तलाश में अपना देने साक्षात्कार देने जाते हैं,तो हमसे पहला प्रश्न पूछा जाता है, “Doyou know English?” हमारी मातृभाषा कुचली जा रही है, खुद को अपमानित महसूस कर रही है।और हैरत की बात यह है कि आज 14 सितंबर हिंदी दिवस के दिन भी इंग्लिश में भाषण देकर हम तालियां तो बजवा लेते हैं, पर अपनी ही भाषा को हम लज्जित करते हैं।

मुझे आज डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी का वो कथ्य याद आता है – “जिसदेश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।”

हिंदी तो पुरखों की भाषा है, सदियों से इस धरती ने इसी की महिमा गाई है। आज भी पूरे भारत में सर्वाधिक बोलने वाली भाषा है। जब भारत पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था,तो वो हिंदी ही थी जिसने पूरे भारत को न सिर्फ एक सूत्र में पिरोया, आजादी का शंखनादबजाया, मैथिलीशरणगुप्त की रचना से इंकलाब को जगाया। कभी जलियावाला बाग की त्रासदी से लिपटकर रोई,तो कभी आज़ादी के दीवाने भगतसिंह की फांसी से जकड़ी। तो कभी दुष्यंत कुमार की पंक्तियों से बोल उठी, तो कभी ज्वाला बन अंग्रेजोंपर बरस उठी:

“होगई है पीर पर्वत-सी,पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।”

15 अगस्त 1947 को आज़ादी के बाद सबसे बड़ी समस्या भाषा की थी। तब संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसका प्रचार-प्रसारप्रसार करने के लिए 1953 में पहला हिंदी दिवस बनाया। पर आज भी हिंदी सिर्फ भाषा बन के रह गई है, अपने मूल्य खो रही है। आज भी कितने लोग ऐसे होंगे

जो इंजीनियर,डॉक्टर जैसे बड़े पद पर होंगे। इंग्लिश तो होगीउनकी फर्राटेदार, पर हिंदी में अगर लिखनी होंगी अगर चार पंक्ति भी, तो भी वो कतराएंगेयार, क्योंकि हिंदी से नहीं कर पाए वो प्यार।

हिंदी तो दादी की कहानियों में, दादा के दुलार में, मां की ममता में, पापा की डांट में, रिश्तों के आगाज़ में, प्यार के इज़हार में, भारत के संविधान में और हम सबके व्यवहार में जो रची है, वो ही हमारी मातृभाषा है, जो गंगा के तल से निकलकर भारत के कोने-कोने

कोनेमें जा बसी है।इसलिए हमें हिंदी के महत्व को समझते हुए, आने वाली हर पीढ़ी को इसका ज्ञान दे,

सिर्फताकि यह सिर्फ एक पाठ्यक्रम बनकर न रह जाए और आने वाली पीढ़ी इसके ज्ञान से वंचित न रह जाए। इस दिन विद्यालय, महाविद्यालय,बड़े बड़ेसंस्थान, बड़े-बड़ेपंडालों में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं,हो रहे हैं और होते रहेंगे ताकि हिंदी हमारे हृदय में जीवंत रह सके और यह सिर्फ एक भाषा बनकर न रह जाए। अंत में चार पंक्तियाँहिंदी को समर्पित करती हूं और इस दिवस को सबको हार्दिक बधाई देती हु


Must Read:-

Hindi Diwas par kavita

Hindi Diwas Anchoring Script in Hindi

https://www.instagram.com/nrhindisecretdiary?igsh=MTdydnk5ZW5qZjF4YQ==

error: Content is protected !!