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Poem-Say no to Plastic

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Poem Say no to Plastic, Poem on Save Environment
Poem-Say no to Plastic


प्लास्टिक का करे बहिष्कार है 
            आओ मिलकर करे नव निर्माण है 
ऐसी कोशिकाओं का करे तिरस्कार है 
            जो सृष्टि से करती हाहाकार है। 

देखने में अच्छी लगती है 
            इसके बिना काम नहीं चलता है 
पर जब उन पशुओं की लाशो पे बिछी इसकी सेज है 
             क्या वास्तव में हमने इसकी कीमत उन पशुओं से आकी है 

सोचो समझो दो करारा जवाब है 
            प्लास्टिक का करो तुम बहिष्कार  है 
पशुओं के गली में अटकी इसकी कतार है 
            जीव जंतु से कर लो तुम थोड़ा तो प्यार है। 

सृष्टि भरी इन थैलियों से है 
           लहरें भी पूछ रही सवाल है 
एक बार गंदगी से नहाकर आयने में देखो 
            फिर प्रकृति से न कर पाओगें तुम छेड़छाड़ है। 

जो न मिल पाए मिटी में है 
           वो आज हमारी मुठी में है 
आओ मुहीम ऐसी चलाते है 
           प्लास्टिक को देश से विदाई दिलाते है। 

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