Poem on Mayra(मायरा)
रस्मे, रिवाज़े, परम्पराओ के यह धागेखुशियों से महका आंगण, बीरा जो घर पधारेलेके कुमकुम का थाल, बहन करती भाई का इंतज़ारकरके माथे पे तिलक, करती… Read More »Poem on Mayra(मायरा)
रस्मे, रिवाज़े, परम्पराओ के यह धागेखुशियों से महका आंगण, बीरा जो घर पधारेलेके कुमकुम का थाल, बहन करती भाई का इंतज़ारकरके माथे पे तिलक, करती… Read More »Poem on Mayra(मायरा)