Mayre pe Kavita | Poem on Mayra | Mayra Kavita
गर रास्ते इतने खूबसूरत हैं,तो वो दरिया कैसा होगा?हर ओर ज़िंदगी जहाँ मुस्कुराए,तो सोचो वो आँगन कैसा होगा?जिनके एक फ़ोन कॉल परचल जाए दिल वहीं,तो… Read More »Mayre pe Kavita | Poem on Mayra | Mayra Kavita
गर रास्ते इतने खूबसूरत हैं,तो वो दरिया कैसा होगा?हर ओर ज़िंदगी जहाँ मुस्कुराए,तो सोचो वो आँगन कैसा होगा?जिनके एक फ़ोन कॉल परचल जाए दिल वहीं,तो… Read More »Mayre pe Kavita | Poem on Mayra | Mayra Kavita
रस्मे, रिवाज़े, परम्पराओ के यह धागेखुशियों से महका आंगण, बीरा जो घर पधारेलेके कुमकुम का थाल, बहन करती भाई का इंतज़ारकरके माथे पे तिलक, करती… Read More »Poem on Mayra(मायरा)