रस्मे, रिवाज़े, परम्पराओ के यह धागेखुशियों से महका आंगण, बीरा जो घर पधारेलेके कुमकुम का थाल, बहन करती भाई का इंतज़ारकरके माथे पे तिलक, करती उनका स्वागत बारंबाररस्मो का भी अपना अलग ही वज़ूद हैभाई बहन के रिश्ते की होती यह अदभुत मिसाल हैमायरा लेकर आया भाई हैसज संवर के खड़ी द्वार पे आज बहना … Continue reading Poem on Mayra(मायरा)
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed