धरती मां की रूह भी कांपी थीआसमा फूट फूट कर रोया थाकहर एक ऐसा बरसा थाहवाएं भी हुई खामोश थीइस खामोशी में पसरा हर और सन्नाटा थाखामोशी से भरा सारा जहां था। आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षक गण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे सहपाठियो | 13 अप्रैल 1919 इतिहास की वो काली सुबह जिनको याद … Continue reading जलियांवाला बाग नरसंहार पर निबंध | Jallianwala Bagh Massacre Speech in Hindi |Essay on Jallianwala Bagh Massacre in Hindi
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed